Sunday 11 May 2014

वो छोटी सी Balcony... वो बारिश का पानी..

ये FB भी ले लो…
ये Whatsapp भी लेलो..

भले छ्चीन लो मुझसे मेरी जवानी..
मगर मुझको लौटा दो Campus का सावन.. 

वो छोटी सी Balcony
वो बारिश का पानी..

Sirah की वो सारी दुकानें पुरानी
वो चाचू जिनसे कहते हम की “Maggi है खानी..!”

वो राजा की lemon-tea में चीनी का बहना…
वो बबलू के omlete में प्याज़ ना रहना..

भुलाए नहीं भूल सकता है कोई…
वो छोले ते कुलचे… वो चटनी में पानी…

कड़ी धूप में GATE 1 से निकलना
वो DPS के लिए .. लंबा शॉर्टकट पकड़ना..
वो पहाड़ी के पेढो तक पत्थर उच्छालना..

वो Hospital की design में नुक्स निकलना..
वो चिल्लड़ की दौलत पे party बनाना..
वो समोसे + टिक्की + राम लड्डो में दही मिलना…

वो थक- हार कर भी हमेशा पैदल ही जाना..
फिर दिन काट के.. छत पे रातें बितानी…

वो छोटी सी बाल्कनी
वो बारिश का पानी..

कभी काम करके .. ढंग से bore हो जाना..
वो Nagari, Anshul, Sahil के कमरो में जाना..
‘नहीं करना yaaaa’ ऐसे बहाने बनाना…
वो sheet-ein बनाकर फिर Cntrl+Z दबाना…

वो गर्मी में तपना.. वो सर्दी में जमना…
ना दुनिया का घम था.. ना Society का स्यापा..
बस Monsoon की बारिश में बहते ही जाना…

कोई मुझज्को लौटा दो Campus का सावन..
वो छोटी सी बाल्कनी …
वो बारिश का पानी..

By god.. बड़ी खूबसूरत थी वो ज़िंदगानी…



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